Lrc कहीं बेख़याल होकर, by मो.रफ़ी
कहीं बेख़याल होकर, - मो.रफ़ी LRC Lyrics - Donwload, Copy or Adapt easily to your Music
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3 months ago
by
Guest
[ar:मो.रफ़ी]
[al:तीन देवियाँ (1965)]
[ti:कहीं बेख़याल होकर,]
[length:06:10.68]
[re:www.megalobiz.com/lrc/maker]
[ve:v1.2.3]
[00:01.37]Movie/Album: तीन देवियाँ (1965)
[00:07.37]Music By: एस.डी.बर्मन
[00:10.13]Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
[00:13.12]Performed By: मो.रफ़ी
[00:20.62]कहीं बेख़याल होकर, यूँ ही छू लिया किसी ने
[00:58.12]कई ख़्वाब देख डाले, यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
[01:09.12]कहीं बेख़याल होकर...
[01:41.12]मेरे दिल में कौन है तू, के हुआ जहाँ अन्धेरा
[02:02.37]वहीं सौ दीये जलाये, तेरे रुख़ की चाँदनी ने
[02:13.12]कई ख़्वाब देख...
[02:26.37]कहीं बेख़याल होकर...
[02:49.88]कभी उस परी का कूचा, कभी इस हसीं की महफ़िल
[03:10.88]मुझे दर-ब-दर फिराया, मेरे दिल की सादग़ी ने
[03:21.38]कई ख़्वाब देख...
[03:34.63]कहीं बेख़याल होकर...
[03:54.88]है भला सा नाम उसका, मैं अभी से क्या बताऊँ
[04:17.87]किया बेक़रार अक्सर, मुझे एक आदमी ने
[04:28.12]कई ख़्वाब देख...
[04:40.62]कहीं बेख़याल होकर...
[05:01.62]अरे मुझपे नाज़ वालों, ये नयाज़मन्दियाँ क्यों
[05:22.87]है यही करम तुम्हारा, तो मुझे न दोगे जीने
[05:32.37]कई ख़्वाब देख...
[05:45.37]कहीं बेख़याल होकर...
[al:तीन देवियाँ (1965)]
[ti:कहीं बेख़याल होकर,]
[length:06:10.68]
[re:www.megalobiz.com/lrc/maker]
[ve:v1.2.3]
[00:01.37]Movie/Album: तीन देवियाँ (1965)
[00:07.37]Music By: एस.डी.बर्मन
[00:10.13]Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
[00:13.12]Performed By: मो.रफ़ी
[00:20.62]कहीं बेख़याल होकर, यूँ ही छू लिया किसी ने
[00:58.12]कई ख़्वाब देख डाले, यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
[01:09.12]कहीं बेख़याल होकर...
[01:41.12]मेरे दिल में कौन है तू, के हुआ जहाँ अन्धेरा
[02:02.37]वहीं सौ दीये जलाये, तेरे रुख़ की चाँदनी ने
[02:13.12]कई ख़्वाब देख...
[02:26.37]कहीं बेख़याल होकर...
[02:49.88]कभी उस परी का कूचा, कभी इस हसीं की महफ़िल
[03:10.88]मुझे दर-ब-दर फिराया, मेरे दिल की सादग़ी ने
[03:21.38]कई ख़्वाब देख...
[03:34.63]कहीं बेख़याल होकर...
[03:54.88]है भला सा नाम उसका, मैं अभी से क्या बताऊँ
[04:17.87]किया बेक़रार अक्सर, मुझे एक आदमी ने
[04:28.12]कई ख़्वाब देख...
[04:40.62]कहीं बेख़याल होकर...
[05:01.62]अरे मुझपे नाज़ वालों, ये नयाज़मन्दियाँ क्यों
[05:22.87]है यही करम तुम्हारा, तो मुझे न दोगे जीने
[05:32.37]कई ख़्वाब देख...
[05:45.37]कहीं बेख़याल होकर...
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