Lrc Ganesh Chalisa by ANURADHA PAUDWAL
Ganesh Chalisa - ANURADHA PAUDWAL LRC Lyrics - Donwload, Copy or Adapt easily to your Music
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5 years ago
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[ar:ANURADHA PAUDWAL]
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[00:00.90]।। दोहा ।।
[00:12.90]जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल ।
[00:25.90]विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ।।
[00:38.65]।। चौपाई ।।
[00:52.40]जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभः काजू ।।
[01:04.90]जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायका बुद्धि विधाता ।।
[01:27.90]वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।।
[01:38.65]राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ।।
[01:44.40]पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।।
[01:53.15]सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ।।
[01:59.65]धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । गौरी लालन विश्व-विख्याता ।।
[02:11.90]ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । मुषक वाहन सोहत द्वारे ।।
[02:32.90]कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । अति शुची पावन मंगलकारी ।।
[02:44.15]एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ।।
[02:51.40]भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ।।
[03:00.15]अतिथि जानी के गौरी सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ।।
[03:07.15]अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।।
[03:18.40]मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ।।
[03:40.40]गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रूप भगवाना ।।
[03:50.90]अस कही अन्तर्धान रूप हवै । पालना पर बालक स्वरूप हवै ।।
[03:58.65]बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ।।
[04:05.65]सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ।।
[04:13.40]शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ।।
[04:25.90]लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ।।
[04:48.65]निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ।।
[04:57.15]गिरिजा कछु मन भेद बढायो । उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ।।
[05:05.40]कहत लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ।।
[05:13.15]नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहयऊ ।।
[05:21.90]पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ।।
[05:32.15]गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी । सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ।।
[05:55.15]हाहाकार मच्यौ कैलाशा । शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ।।
[06:04.15]तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटी चक्र सो गज सिर लाये ।।
[06:11.90]बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ।।
[06:21.15]नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ।।
[06:27.40]बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।।
[06:39.65]चले षडानन, भरमि भुलाई । रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ।।
[06:57.15]चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ।।
[07:09.90]धनि गणेश कही शिव हिये हरषे । नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ।।
[07:19.15]तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ।।
[07:26.40]मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ।।
[07:33.90]भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ।।
[07:46.40]अब प्रभु दया दीना पर कीजै । अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ।।
[07:59.65]।। दोहा ।।
[08:02.40]श्री गणेशा यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान ।
[08:15.40]नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ।।
[08:27.90]सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।
[08:40.90]पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ।।
[al:Ganesh Chalisa]
[ti:Ganesh Chalisa]
[au:ANURADHA PAUDWAL]
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[00:00.90]।। दोहा ।।
[00:12.90]जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल ।
[00:25.90]विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ।।
[00:38.65]।। चौपाई ।।
[00:52.40]जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभः काजू ।।
[01:04.90]जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायका बुद्धि विधाता ।।
[01:27.90]वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।।
[01:38.65]राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ।।
[01:44.40]पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।।
[01:53.15]सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ।।
[01:59.65]धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । गौरी लालन विश्व-विख्याता ।।
[02:11.90]ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । मुषक वाहन सोहत द्वारे ।।
[02:32.90]कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । अति शुची पावन मंगलकारी ।।
[02:44.15]एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ।।
[02:51.40]भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ।।
[03:00.15]अतिथि जानी के गौरी सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ।।
[03:07.15]अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।।
[03:18.40]मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ।।
[03:40.40]गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रूप भगवाना ।।
[03:50.90]अस कही अन्तर्धान रूप हवै । पालना पर बालक स्वरूप हवै ।।
[03:58.65]बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ।।
[04:05.65]सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ।।
[04:13.40]शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ।।
[04:25.90]लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ।।
[04:48.65]निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ।।
[04:57.15]गिरिजा कछु मन भेद बढायो । उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ।।
[05:05.40]कहत लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ।।
[05:13.15]नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहयऊ ।।
[05:21.90]पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ।।
[05:32.15]गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी । सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ।।
[05:55.15]हाहाकार मच्यौ कैलाशा । शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ।।
[06:04.15]तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटी चक्र सो गज सिर लाये ।।
[06:11.90]बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ।।
[06:21.15]नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ।।
[06:27.40]बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।।
[06:39.65]चले षडानन, भरमि भुलाई । रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ।।
[06:57.15]चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ।।
[07:09.90]धनि गणेश कही शिव हिये हरषे । नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ।।
[07:19.15]तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ।।
[07:26.40]मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ।।
[07:33.90]भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ।।
[07:46.40]अब प्रभु दया दीना पर कीजै । अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ।।
[07:59.65]।। दोहा ।।
[08:02.40]श्री गणेशा यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान ।
[08:15.40]नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ।।
[08:27.90]सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।
[08:40.90]पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ।।
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