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Lrc Gayatri Chalisa by Ninad Mehta

Gayatri Chalisa - Ninad Mehta LRC Lyrics - Donwload, Copy or Adapt easily to your Music

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30520 - Gayatri Chalisa by Ninad Mehta [07:13.03] 5 years ago
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[00:03.65]ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचंड ॥

[00:15.15]शांति कांति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखंड ॥1॥
[00:27.90]जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम ।

[00:37.40]प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम ॥ २॥

[01:07.15]भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।

[01:11.90]गायत्री नित कलिमल दहनी ॥॥

[01:15.40]अक्षर चौबीस परम पुनीता ।

[01:19.40]इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता ॥॥

[01:23.90]शाश्वत सतोगुणी सत रूपा ।

[01:27.90]सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥॥

[01:32.15]हंसारूढ श्वेतांबर धारी ।

[01:36.40]स्वर्ण कांति शुचि गगन-बिहारी ॥॥

[01:40.40]पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।

[01:44.65]शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥॥

[01:48.65]ध्यान धरत पुलकित हित होई ।

[01:52.90]सुख उपजत दुख दुर्मति खोई ॥॥

[01:57.15]कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।

[02:01.15]निराकार की अद्भुत माया ॥॥

[02:05.65]तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।

[02:09.65]तरै सकल संकट सों सोई ॥॥

[02:13.90]सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।

[02:18.15]दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥॥

[02:22.15]तुम्हरी महिमा पार न पावैं ।

[02:26.65]जो शारद शत मुख गुन गावैं ॥॥

[02:30.90]चार वेद की मात पुनीता ।

[02:34.90]तुम ब्रह्माणी गौरी सीता ॥॥

[02:39.15]महामंत्र जितने जग माहीं ।

[02:43.15]कोउ गायत्री सम नाहीं ॥॥

[02:47.65]सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।

[02:51.40]आलस पाप अविद्या नासै ॥॥

[02:55.65]सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।

[02:59.90]कालरात्रि वरदा कल्याणी ॥॥

[03:04.15]ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते ।

[03:08.15]तुम सों पावें सुरता तेते ॥॥

[03:12.65]तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।

[03:16.65]जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥॥

[03:20.90]महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।

[03:24.90]जय जय जय त्रिपदा भयहारी ॥॥

[03:29.15]पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।

[03:33.40]तुम सम अधिक न जगमें आना ॥॥

[03:37.65]तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।

[03:41.65]तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेसा ॥॥

[03:45.65]जानत तुमहिं तुमहिं व्है जाई ।

[03:49.65]पारस परसि कुधातु सुहाई ॥॥

[03:54.40]तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।

[03:58.65]माता तुम सब ठौर समाई ॥॥

[04:02.15]ग्रह नक्षत्र ब्रह्मांड घनेरे ।

[04:06.65]सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥॥

[04:10.90]सकल सृष्टि की प्राण विधाता ।

[04:14.90]पालक पोषक नाशक त्राता ॥॥

[04:19.15]मातेश्वरी दया व्रत धारी ।

[04:23.40]तुम सन तरे पातकी भारी ॥॥

[04:27.90]जापर कृपा तुम्हारी होई ।

[04:31.65]तापर कृपा करें सब कोई ॥॥

[04:35.90]मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें ।

[04:40.15]रोगी रोग रहित हो जावें ॥॥

[04:44.15]दरिद्र मिटै कटै सब पीरा ।

[04:48.15]नाशै दुख हरै भव भीरा ॥॥

[04:52.40]गृह क्लेश चित चिंता भारी ।

[04:56.65]नासै गायत्री भय हारी ॥॥

[05:00.90]संतति हीन सुसंतति पावें ।

[05:04.90]सुख संपति युत मोद मनावें ॥॥

[05:09.40]भूत पिशाच सबै भय खावें ।

[05:13.90]यम के दूत निकट नहिं आवें ॥॥

[05:17.90]जो सधवा सुमिरें चित लाई ।

[05:21.65]अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥॥

[05:26.15]घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।

[05:30.15]विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥॥

[05:34.40]जयति जयति जगदंब भवानी ।

[05:38.40]तुम सम ओर दयालु न दानी ॥॥

[05:42.65]जो सतगुरु सो दीक्षा पावे ।

[05:46.65]सो साधन को सफल बनावे ॥॥

[05:50.90]सुमिरन करे सुरूचि बडभागी ।

[05:56.15]लहै मनोरथ गृही विरागी ॥॥

[05:59.40]अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता ।

[06:03.65]सब समर्थ गायत्री माता ॥॥

[06:07.65]ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी ।

[06:11.90]आरत अर्थी चिंतित भोगी ॥॥

[06:16.15]जो जो शरण तुम्हारी आवें ।

[06:20.15]सो सो मन वांछित फल पावें ॥॥

[06:24.40]बल बुधि विद्या शील स्वभाउ ।

[06:28.65]धन वैभव यश तेज उछाउ ॥॥

[06:33.15]सकल बढें उपजें सुख नाना ।

[06:37.40]जे यह पाठ करै धरि ध्याना ॥

[06:53.15]

[06:55.15]यह चालीसा भक्ति युत पाठ करै जो कोई ।

[06:56.90]तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय ॥