Lrc Hanuman Chalisa HI by Gulsan Kumar
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4 years ago
by
Guest
[ar:Gulsan Kumar]
[ti:Hanuman Chalisa HI]
[length:09:42.56]
[by:Vishnu]
[re:www.megalobiz.com/lrc/maker]
[ve:v1.2.3]
[00:01.42] ॥ दोहा ॥
[00:02.17] श्रीगुरु चरन सरोज रज
[00:08.19] निज मनु मुकुरु सुधारि ।
[00:13.18] बरनउँ रघुवर बिमल जसु
[00:18.42] जो दायकु फल चारि ॥
[00:23.92] बुद्धिहीन तनु जानिके
[00:29.18] सुमिरौं पवन-कुमार ।
[00:35.17] बल बुधि विद्या देहु मोहिं
[00:42.43] हरहु कलेस विकार ॥
[00:49.68] ॥ चौपाई ॥
[00:55.92] जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
[01:00.93] जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
[01:06.68] राम दूत अतुलित बल धामा ।
[01:11.67] अंजनी-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
[01:22.44] महावीर विक्रम बजरंगी ।
[01:27.67] कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥
[01:32.42] कंचन वरन विराज सुवेसा ।
[01:37.92] कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥४॥
[01:43.43] हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे ।
[01:48.93] काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥
[01:54.43] शंकर सुवन केसरीनन्दन ।
[01:59.18] तेज प्रताप महा जग बंधन ॥६॥
[02:09.67] विद्यावान गुनी अति चातुर ।
[02:15.18] राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
[02:20.68] प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
[02:25.67] राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
[02:30.93] सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
[02:36.17] विकत रूप धरि लंक जरावा ॥९॥
[02:41.67] भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
[02:46.68] रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
[02:57.18] लाय संजीवन लखन जियाये ।
[03:02.42] श्रीरघुवीर हरषि उर लाये ॥११॥
[03:07.68] रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
[03:12.94] तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
[03:18.17] सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
[03:23.43] अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥
[03:29.18] सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
[03:33.93] नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
[03:44.67] यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
[03:50.17] कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
[03:55.43] तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
[04:00.42] राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
[04:05.68] तुम्हारो मन्त्र विभीषण माना ।
[04:10.67] लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
[04:16.68] जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
[04:21.68] लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
[04:32.18] प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
[04:37.44] जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
[04:42.67] दुर्गम काज जगत के जेते ।
[04:47.93] सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते ॥२०॥
[04:53.19] राम दुआरे तुम रखवारे ।
[04:58.18] होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
[05:03.93] सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
[05:09.18] तुम रक्षक काहू को डर ना ॥२२॥
[05:19.93] आपन तेज सम्हारो आपै ।
[05:24.92] तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥
[05:29.94] भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
[05:35.17] महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
[05:40.43] नासै रोग हरै सब पीड़ा ।
[05:45.93] जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
[05:51.68] संकट तें हनुमान छुड़ावै ।
[05:56.92] मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
[06:07.43] सब पर राम तपस्वी राजा ।
[06:12.43] तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
[06:17.42] और मनोरथ जो कोई लावै ।
[06:22.68] सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
[06:28.18] चारों जुग परताप तुम्हारा ।
[06:33.42] है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
[06:39.18] साधु सन्त के तुम रखवारे ।
[06:43.94] असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
[06:54.43] अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
[06:59.67] अस वर दीन जानकी माता ॥३१॥
[07:05.17] राम रसायन तुम्हारे पासा ।
[07:09.92] सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
[07:15.43] तुम्हारे भजन राम को पावै ।
[07:20.68] जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
[07:26.43] अन्त काल रघुवर पुर जाई ।
[07:31.42] जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
[07:41.92] और देवता चित्त न धरई ।
[07:46.69] हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥३५॥
[07:52.17] संकट कटै मिटै सब पीड़ा ।
[07:57.19] जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
[08:02.68] जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
[08:08.44] कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
[08:13.43] जो शत बार पाठ कर कोई ।
[08:18.17] छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
[08:28.43] जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
[08:33.69] होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
[08:38.92] तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
[08:44.18] कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
[08:56.43] ॥ दोहा ॥
[08:58.18] पवनतनय संकट हरन
[09:05.93] मंगल मूरति रूप ।
[09:14.18] राम लखन सीता सहित
[09:22.17] हृदय बसहु सुर भूप ॥
[ti:Hanuman Chalisa HI]
[length:09:42.56]
[by:Vishnu]
[re:www.megalobiz.com/lrc/maker]
[ve:v1.2.3]
[00:01.42] ॥ दोहा ॥
[00:02.17] श्रीगुरु चरन सरोज रज
[00:08.19] निज मनु मुकुरु सुधारि ।
[00:13.18] बरनउँ रघुवर बिमल जसु
[00:18.42] जो दायकु फल चारि ॥
[00:23.92] बुद्धिहीन तनु जानिके
[00:29.18] सुमिरौं पवन-कुमार ।
[00:35.17] बल बुधि विद्या देहु मोहिं
[00:42.43] हरहु कलेस विकार ॥
[00:49.68] ॥ चौपाई ॥
[00:55.92] जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
[01:00.93] जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
[01:06.68] राम दूत अतुलित बल धामा ।
[01:11.67] अंजनी-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
[01:22.44] महावीर विक्रम बजरंगी ।
[01:27.67] कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥
[01:32.42] कंचन वरन विराज सुवेसा ।
[01:37.92] कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥४॥
[01:43.43] हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे ।
[01:48.93] काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥
[01:54.43] शंकर सुवन केसरीनन्दन ।
[01:59.18] तेज प्रताप महा जग बंधन ॥६॥
[02:09.67] विद्यावान गुनी अति चातुर ।
[02:15.18] राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
[02:20.68] प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
[02:25.67] राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
[02:30.93] सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
[02:36.17] विकत रूप धरि लंक जरावा ॥९॥
[02:41.67] भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
[02:46.68] रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
[02:57.18] लाय संजीवन लखन जियाये ।
[03:02.42] श्रीरघुवीर हरषि उर लाये ॥११॥
[03:07.68] रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
[03:12.94] तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
[03:18.17] सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
[03:23.43] अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥
[03:29.18] सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
[03:33.93] नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
[03:44.67] यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
[03:50.17] कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
[03:55.43] तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
[04:00.42] राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
[04:05.68] तुम्हारो मन्त्र विभीषण माना ।
[04:10.67] लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
[04:16.68] जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
[04:21.68] लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
[04:32.18] प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
[04:37.44] जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
[04:42.67] दुर्गम काज जगत के जेते ।
[04:47.93] सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते ॥२०॥
[04:53.19] राम दुआरे तुम रखवारे ।
[04:58.18] होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
[05:03.93] सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
[05:09.18] तुम रक्षक काहू को डर ना ॥२२॥
[05:19.93] आपन तेज सम्हारो आपै ।
[05:24.92] तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥
[05:29.94] भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
[05:35.17] महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
[05:40.43] नासै रोग हरै सब पीड़ा ।
[05:45.93] जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
[05:51.68] संकट तें हनुमान छुड़ावै ।
[05:56.92] मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
[06:07.43] सब पर राम तपस्वी राजा ।
[06:12.43] तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
[06:17.42] और मनोरथ जो कोई लावै ।
[06:22.68] सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
[06:28.18] चारों जुग परताप तुम्हारा ।
[06:33.42] है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
[06:39.18] साधु सन्त के तुम रखवारे ।
[06:43.94] असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
[06:54.43] अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
[06:59.67] अस वर दीन जानकी माता ॥३१॥
[07:05.17] राम रसायन तुम्हारे पासा ।
[07:09.92] सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
[07:15.43] तुम्हारे भजन राम को पावै ।
[07:20.68] जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
[07:26.43] अन्त काल रघुवर पुर जाई ।
[07:31.42] जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
[07:41.92] और देवता चित्त न धरई ।
[07:46.69] हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥३५॥
[07:52.17] संकट कटै मिटै सब पीड़ा ।
[07:57.19] जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
[08:02.68] जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
[08:08.44] कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
[08:13.43] जो शत बार पाठ कर कोई ।
[08:18.17] छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
[08:28.43] जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
[08:33.69] होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
[08:38.92] तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
[08:44.18] कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
[08:56.43] ॥ दोहा ॥
[08:58.18] पवनतनय संकट हरन
[09:05.93] मंगल मूरति रूप ।
[09:14.18] राम लखन सीता सहित
[09:22.17] हृदय बसहु सुर भूप ॥
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