Lrc hanuman_chalisa
hanuman_chalisa LRC Lyrics - Donwload, Copy or Adapt easily to your Music
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4 years ago
by
Guest
[length:09:48.08]
[re:www.megalobiz.com/lrc/maker]
[ve:v1.2.3]
[00:10.64]श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
[00:16.14]बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
[00:26.64]बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
[00:37.40]बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
[01:02.40]॥चौपाई॥
[01:03.40]जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
[01:04.65]जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
[01:09.64]राम दूत अतुलित बल धामा ।
[01:13.65]अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
[01:24.39]महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
[01:30.14]कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥
[00:0.00]कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।
[00:0.00]कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥
[00:0.00]हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
[00:0.00]काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥
[00:0.00]सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
[00:0.00]तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥
[00:0.00]बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
[00:0.00]राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
[00:0.00]प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
[00:0.00]राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
[00:0.00]सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
[00:0.00]बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥
[00:0.00]भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
[00:0.00]रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
[00:0.00]लाय सञ्जीवन लखन जियाये ।
[00:0.00]श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥
[00:0.00]रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
[00:0.00]तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
[00:0.00]सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
[00:0.00]अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥
[00:0.00]सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
[00:0.00]नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
[00:0.00]जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
[00:0.00]कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
[00:0.00]तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
[00:0.00]राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
[00:0.00]तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
[00:0.00]लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
[00:0.00]जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
[00:0.00]लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
[00:0.00]प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
[00:0.00]जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
[00:0.00]दुर्गम काज जगत के जेते ।
[00:0.00]सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥
[00:0.00]राम दुआरे तुम रखवारे ।
[00:0.00]होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
[00:0.00]सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
[00:0.00]तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥
[00:0.00]आपन तेज सह्मारो आपै ।
[00:0.00]तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥
[00:0.00]भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
[00:0.00]महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
[00:0.00]नासै रोग हरै सब पीरा ।
[00:0.00]जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
[00:0.00]सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।
[00:0.00]मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
[00:0.00]सब पर राम तपस्वी राजा ।
[00:0.00]तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
[00:0.00]और मनोरथ जो कोई लावै ।
[00:0.00]सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
[00:0.00]चारों जुग परताप तुह्मारा ।
[00:0.00]है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
[00:0.00]साधु सन्त के तुम रखवारे ।
[00:0.00]असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
[00:0.00]अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
[00:0.00]अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
[00:0.00]राम रसायन तुह्मरे पासा ।
[00:0.00]सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
[00:0.00]तुह्मरे भजन राम को पावै ।
[00:0.00]जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
[00:0.00]अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
[00:0.00]जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
[00:0.00]और देवता चित्त न धरई ।
[00:0.00]हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥
[00:0.00]सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।
[00:0.00]जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
[00:0.00]जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
[00:0.00]कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
[00:0.00]जो सत बार पाठ कर कोई ।
[00:0.00]छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
[00:0.00]जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
[00:0.00]होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
[00:0.00]तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
[00:0.00]कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
[00:0.00]॥दोहा॥
[00:0.00]पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
[00:0.00]राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
[re:www.megalobiz.com/lrc/maker]
[ve:v1.2.3]
[00:10.64]श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
[00:16.14]बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
[00:26.64]बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
[00:37.40]बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
[01:02.40]॥चौपाई॥
[01:03.40]जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
[01:04.65]जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
[01:09.64]राम दूत अतुलित बल धामा ।
[01:13.65]अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
[01:24.39]महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
[01:30.14]कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥
[00:0.00]कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।
[00:0.00]कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥
[00:0.00]हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
[00:0.00]काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥
[00:0.00]सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
[00:0.00]तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥
[00:0.00]बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
[00:0.00]राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
[00:0.00]प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
[00:0.00]राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
[00:0.00]सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
[00:0.00]बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥
[00:0.00]भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
[00:0.00]रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
[00:0.00]लाय सञ्जीवन लखन जियाये ।
[00:0.00]श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥
[00:0.00]रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
[00:0.00]तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
[00:0.00]सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
[00:0.00]अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥
[00:0.00]सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
[00:0.00]नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
[00:0.00]जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
[00:0.00]कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
[00:0.00]तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
[00:0.00]राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
[00:0.00]तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
[00:0.00]लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
[00:0.00]जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
[00:0.00]लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
[00:0.00]प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
[00:0.00]जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
[00:0.00]दुर्गम काज जगत के जेते ।
[00:0.00]सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥
[00:0.00]राम दुआरे तुम रखवारे ।
[00:0.00]होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
[00:0.00]सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
[00:0.00]तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥
[00:0.00]आपन तेज सह्मारो आपै ।
[00:0.00]तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥
[00:0.00]भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
[00:0.00]महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
[00:0.00]नासै रोग हरै सब पीरा ।
[00:0.00]जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
[00:0.00]सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।
[00:0.00]मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
[00:0.00]सब पर राम तपस्वी राजा ।
[00:0.00]तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
[00:0.00]और मनोरथ जो कोई लावै ।
[00:0.00]सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
[00:0.00]चारों जुग परताप तुह्मारा ।
[00:0.00]है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
[00:0.00]साधु सन्त के तुम रखवारे ।
[00:0.00]असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
[00:0.00]अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
[00:0.00]अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
[00:0.00]राम रसायन तुह्मरे पासा ।
[00:0.00]सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
[00:0.00]तुह्मरे भजन राम को पावै ।
[00:0.00]जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
[00:0.00]अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
[00:0.00]जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
[00:0.00]और देवता चित्त न धरई ।
[00:0.00]हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥
[00:0.00]सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।
[00:0.00]जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
[00:0.00]जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
[00:0.00]कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
[00:0.00]जो सत बार पाठ कर कोई ।
[00:0.00]छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
[00:0.00]जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
[00:0.00]होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
[00:0.00]तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
[00:0.00]कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
[00:0.00]॥दोहा॥
[00:0.00]पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
[00:0.00]राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
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